भारत के रहस्यमई खजाने जो आज तक कोई खोज नहीं पाए
नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप आशा करता हूं कि आप सब लोग बहुत ही होंगे दोस्तों आज हम बात करेंगे भारत के रहस्यमई खजाने के बारे में जो आजतक रहस्य बने हुए हैं तो तो चलिए शुरू करते हैं
1- चारमीनार की सुरंग का खजाना
ऐसा माना जाता है कि कभी ऐतिहासिक गोलकुंडा किला और चार मीनार के बीच 15 फुट चौड़ी और 30 फुट ऊंची भूमिगत सुरेंद्र सिंह इस सुरंग को सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने बनवाया था और माना जाता है कि इस सुरंग में शाही परिवार ने अपना शाही खजाना छिपाकर रखा था जो स्थानीय किस्सों के अनुसार आज भी यहां मौजूद है सुल्तान ने यूं तो इस सुरंग को इसलिए बनवाया था कि मुश्किल वक्त में की जान बचाई जा सके लेकिन बाद में इस चूर्ण में उन्होंने गुप्त तक आने भी बनवाएं जिनमें उन्होंने खरबों रुपए के खजाने को छुपा दिया सैकड़ों सालों तक पहनना पैसा सोना चांदी और बहुमूल्य रत्न जमा किए और फिर इस सुरंग को दफना दिए गए 1936 में निजाम मीर उस्मान अली ने एक सर्वे करवाया और साथ ही नक्शे में भी बनवाया था हलाकि उस दौरान यहां खुदाई नहीं कराई गई थी इस खजाने का रहस्य अभी तक भी सुलझ नहीं पाया है और इसके स्कूल जाने की संभावना भी कम ही है लेकिन भी इसमें लोगों की दिलचस्पी बनी हुई है और अभी रहस्य बना हुआ है
2- सोन गुफा का खजाना
बिहार के राजगीर में भी खजाना दबे होने की बात कही जाती है यहां की पहाड़ियों में सोना गुफा का बहुत महत्व है मानामाना जाता है कि इन पहाड़ियों के सीने में बहुमूल्य खजाना दबा हुआ कहां जाता है कि यह जगह महाभारत के कालीन है किदवंती है कि यहां भीम ने राज संघ का वध किया था पहले इस जगह को राजगृह कहा जाता क कलांतर मैं यह जगह मगध साम्राज्य के अधीन आ गई बौद्ध धर्म और जैन धर्म को मानने वाले भी इन गुफाओं को पवित्र मानते थे भारतीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक यह गुफाएं तीसरी चौथी शताब्दी की है वहां स्थित सरकारी शिलालेखों के मुताबिक यहां औरत के पैरों के निशान मिले थे और शंख भाषा में लिखे कुछ अंश भी मिले थे बिंब सर आजात। शत्रु ने इसी जगह पर कैद करके रखा था यहां से लोहे की हथकड़ियां भी मिली है पिंपल गुफा में भगवान बुद्ध आया था करते कर थे ऐसा माना ऐसा खजाना किसका है और कब से है यहां दबा पड़ा है ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिलते हैं कोई खजाने को महाभारतकालीन मानता है तो कोई बिंबसार और अजातशत्रु का बताता है ऐसा भी कहा जाता है कि खजाना अजातशत्रु ना ना मिल पाय इसीलिए उनके पिता बिंबिसार ने खजाने की गुफाओं Bhool Bhulaiyaa में दफना दिया था अंग्रेजों ने भी तोपों से इन गुफाओं को उड़ाने की कोशिश की थी लेकिन असफल रहे तोपों के गोले के निशान आज भी वहां पर मौजूद है माना जाता है कि संघ भाषा में जो लिखा था वही खजाने की असली कुंजी है लेकिन इस भाषा का कोई जानकार इस दुनिया में नहीं है गुफाएं पॉलिश की हुई है और भगवान विष्णु की मूर्ति भी यहां पर मिली थी वर्तमान में यह मूर्ति नालंदा संग्रहालय में रखी हुई है इस खजाने की खोज अभी तक नहीं हो पाई यह अभी तक रहस्य बना हुआ है
3- जयगढ़ के किले का खजाना
राजस्थान में कुछ खजानों की चर्चा समय समय पर होती रही है इन्हीं में से एक मानसिंह प्रथम का खजाना मानसी अकबर का सेनापति था माना जाता है कि 1880 में उन्होंने अफगानिस्तान को जीत लिया था वहां मोहम्मद जनी के खजाने को लेकर वहां हिंदुस्तान तो आ गए लेकिन उसने इस के बारे में अकबर को भी नहीं बताया उसने इस खजाने को जयगढ़ किले में दफना दिया यहां माना जाता है कि उसने महल के नीचे तहखाने बनवाएं और खजाना उसमें भर दिया कहा तो यह भी जाता है कि 1976 में इमरजेंसी के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी इस खजाने की तलाश में जान लगा दी थी कई महीनों तक खुदाई चलती रहेगी लेकिन उनकी यह खोज व्यर्थ गई हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि 6 महीने के बाद खुदाई जब रुकी तो ट्रकों का काफिला सीने से निकला दिल्ली जयपुर रोड को आदमियों के लिए बंद कर दिया गया और फौजी ट्रकों में खजाने के प्रधानमंत्री आवास तक पहुंचा दिया गया एक स्थानीय पत्रकार ने आरटीआई के माध्यम से यह जानना चाहा कि क्या सरकार ने वाकई ऐसे कोई खुदाई कराई है थी जिस में खजाना निकला हो लेकिन सरकार ने इस आरटीआई कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया इस खजाने को लेकर एक और भी कहानी है राजस्थान में प्रचलित है ऐसा माना जाता है कि मानसिंह ने इस खजाने के बारे में जोधाबाई को बता दिया था जोधा ने इस खजाने को फतेहपुर सीकरी स्थित एक मंदिर में रखवा दिया था वक्त की रेत में यह मंदिर दफन हो गया और साथ ही खो गया खजाने का रहस्य भी स्थाई लोग मानते हैं कि खजाना अभी उसी मंदिर में आपको क्या लगता है इस खजाने को लेकर हमें कमेंट बॉक्स में जरुर बताइए अगर इस पोस से कुछ भी रिलेटेड कोई भी दिक्कत आ रही तो प्लीज कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए
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